Sunday, September 12, 2010

भगवान श्री विश्वकर्मा जी की पूजा -17 सितम्बर को





प्रभात पुत्र विश्वकर्मा को आदि विश्वकर्मा मानतें हैं।
स्कंद पुराण प्रभात खण्ड के निम्न श्लोक की भांति किंचित पाठ भेद से सभी पुराणों में यह श्लोक मिलता हैः-
बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी ।
 प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च ।
विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः ।।16।।
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है। शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है, सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है,वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है। अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है। अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं। जिस तरह भारत मे विश्वकर्मा को शिल्पशस्त्र का अविष्कार करने वाला देवता माना जाता हे और सभी कारीगर उनकी पुजा करते हे। उसी तरह चीन मे लु पान को बदइयों का देवता माना जाता है। प्राचीन ग्रन्थों के मनन-अनुशीलन से यह विदित होता है कि जहाँ ब्रहा, विष्णु ओर महेश की वन्दना-अर्चना हुई है, वही भनवान विश्वकर्मा को भी स्मरण-परिष्टवन किया गया है। " विश्वकर्मा" शब्द से ही यह अर्थ-व्यंजित होता है "विशवं कृत्स्नं कर्म व्यापारो वा यस्य सः"अर्थातः जिसकी सम्यक् सृष्टि और कर्म व्यापार है वह विश्वकर्मा है। यही विश्वकर्मा प्रभु है, प्रभूत पराक्रम-प्रतिपत्र, विशवरुप विशवात्मा है। वेदो मे " विशवतः चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वस्पात्" कहकर इनकी सर्वव्यापकता, सर्वज्ञता, शक्ति-सम्पन्ता और अनन्तता दर्शायी गयी है। हमारा उद्देश्य तो यहाँ विश्वकर्मा जी का परिचय कराना है। माना कई विश्वकर्मा हुए हैं और आगे चलकर विश्वकर्मा के गुणों को धारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुष को विश्वकर्मा की उपाधि से अलंकृत किया जाने लगा हो तो यह बात भी मानी जानी चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी शिल्प संकायो, कारखानो, उद्योगों में भगवान विश्वकर्मा की महता को प्रगट करते हुए प्रत्येक वर्ग 17 सितम्बर को "श्रम दिवस" के रुप मे मनाता है । यह उत्पादन-वृदि ओर राष्टीय समृध्दि के लिए एक संकलप दिवस है। यह पर्व हमारे देश में प्रतिवर्ष 17 सितम्बर "विश्वकर्मा-पूजा" के रुप में सरकारी व गैर सरकारी ईंजीनियरिंग संस्थानो मे बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।