Tuesday, November 2, 2010

धनतेरस पूजन विधान - महत्व

भगवान धनवंतरी जी 

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से  भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरी आयुर्वेद के जनक  माने जाते हैं । इन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर दिया था। वर्तमान संदर्भ में भी आयु और स्वस्थता की कामना से धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी का पूजन किया जाता है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है। आज से ही तीन दिन तक चलने वाला गो-त्रिरात्र व्रत भी शुरू होता है।
धनतेरस के दिन धन्वंतरी जी का पूजन करें।
नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।
सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर , दुकान को सजायें। अपने घर के साथ-साथ मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएँ।
शक्ति अनुसार सोना - चाँदी , ताँबे, पीतल, के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं। हल  से जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएँ।
श्रीयंत्र
धनतेरस पूजन :-
कुबेर पूजन - शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएँ अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें। सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करते हैं।
कुबेर का ध्यान : -  भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएँ और ध्यान करें -श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ।
इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें -
'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।'
इसके पश्चात कपूर से आरती उतारकर मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।
यम दीपदान :- तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें।
पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-'मृत्युना दंडपाशाभ्याम्‌ कालेन श्यामया सह।
    त्रयोदश्यां दीपदानात्‌ सूर्यजः प्रयतां मम।।
अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नतार्थ सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।
 इसी प्रकार एक अखंड दीपक घर के प्रमुख द्वार की देहरी पर किसी प्रकार का अन्न (साबूत गेहूँ या चावल आदि) बिछाकर उस पर रखें। (मान्यता है कि इस प्रकार दीपदान करने से यम देवता के पाश और नरक से मुक्ति मिलती है।)
यमराज पूजन : - इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें।
रात को घर की स्त्रियाँ दीपक में तेल डालकर चार बत्तियाँ जलाएँ।